लोकतंत्र बचाओ रैली में लखनऊ पहुँचे सैंकड़ों युवा गिरफ्तार, जनदवाब में हुई रिहाई

उत्तर प्रदेश में तेज़ी से बढ़ती बलात्कार व लूट-मार की घटनाओं पर लगाम लगाने, दिनों-दिन बढ़ती सांप्रदायिक-जातीय हिंसा के दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने, भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर आज़ाद को अविलंब रिहा करने, योगी आदित्यनाथ का विरोध करने वाले लखनऊ विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों पर थोपे गए फर्ज़ी मुकदमे खारिज करने, शिक्षा का बजट कम करने के फैसले को वापस ले कर हर विद्यार्थी के लिए गुणवत्तायुक्त नि:शुल्क शिक्षा उपलब्ध करवाने तथा भर्तियों पर लगी रोक हटा कर हर बेरोजगार हेतु सम्मानजनक रोजगार उपलब्ध करवाने जैसी माँगों के साथ लखनऊ विश्वविद्यालय से विधानसभा तक मार्च निकालने के इरादे से यूपी के तमाम जिलों से जुटे आइसा और इंकलाबी नौजवान सभा से जुड़े सैंकड़ों छात्रों-नौजवानों से योगी सरकार इतना डर गई कि मार्च शुरु करते ही पुलिस ने सैंकड़ों कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया, जहाँ से उन्हें बसों में बैठा कर पुलिस लाइन ले जाया गया।

पुलिस के पहरे में इन नौजवानों के क्रांतिकारी तेवर और भी बुलंद हो गए। उन्होंने थाने में ही क्रांतिकारी जनगीतों व नारों के बीच सभा आयोजित की। इस बीच अन्य कार्यकर्ताओं व समर्थकों की भीड़ भी अपने साथियों की रिहाई के लिए पुलिस लाइंस में जुटने लगी। मजबूरन पुलिस ने सभी छात्रों-नौजवानों को रिहा कर दिया।

 

इस कार्यवाही से एक बार फिर साबित हुआ कि केन्द्र में मोदी और यूपी में योगी के नेतृत्व में भाजपाई सरकारें एक तरफ अपने बुनियादी अधिकारों की माँग करने वालों से कोई संवाद करने की बजाय उनकी आवाजों को निर्लज्जता के साथ जबरन दबा रही हैं और दूसरी तरफ निजी कॉर्पोरेट्स को सार्वजनिक संपत्तियाँ कौड़ी के भाव समर्पित कर जनता को आर्थिक गुलामी की ओर धकेल रही हैं। साथ ही आर्थिक मुद्दों से जनता का ध्यान हटाने के लिए सांप्रदायिक-जातीय नफरत फैलाने वाले अपने एजेण्टों को परोक्ष रुप से सहयोग भी दे रही हैं।

 

मगर आइसा व इंकलाबी नौजवान सभा के कार्यकर्ताओं ने साफ कहा है कि वे इस तरह की कार्यवाही से डरने वाले नहीं हैं तथा आर्थिक व सामाजिक समानता के मुद्दों पर आगे और भी बड़े स्तर पर नौजवानों की चेतना बढ़ाने व सरकार को घेरने का काम जारी रखेंगे!

 

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