Demonetization: जनता त्रस्त राजा मस्त !

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Demonetization:

500 और 1000 का नोट बंद करके काला धन खत्म करने का दावा जनता के साथ

क्रूर छलावा से अधिक कुछ नहीं!

8 नवम्बर को प्रधनमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अचानक टीवी पर यह घोषणा की कि 500 और 1000 के नोट अब प्रयोग में नहीं रहेंगे। इसकी जगह अब 500 और 2000 के नये नोट जारी किये जायेंगे। मोदी का दावा है कि इससे काले धन और नकली नोट पर शिकंजा कसा जा रहा है।

अगर इस फैसले पर थोड़ा भी ध्यान दिया जाए तो ये दावे महज़ छलावे से अध्कि कुछ नहीं है। दूसरी ओर, इससे आम जनता खासतौर पर गरीब, महिला, छोटे विक्रेता, रेहड़ी-पटरी वाले, दिहाड़ी मजदूर, रिक्शा चालक और दूसरे असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों के लिए भारी समस्याएं पैदा हो रही हैं। कई लोगों का रोज़गार ख़तम हो गया है, खाने-पीने का सामान और आवागमन के लिए भी पैसे नहीं हैं। इन सब की भारी कीमत के बावजूद भी काले धन को पकड़ा नहीं जा सकेगा।

क्यों नोटबंदी  की यह नीति काले धन के खिलाफ कुछ नहीं कर सकती-

  1. आज की तारीख़ में यह जानी-मानी बात है कि 90 प्रतिशत काले धन नकदी के रूप में नहीं होता, न ही वो बोरी में भर के बिस्तर के नीचे पड़ा रहता है। इसके बजाय यह सोना, रियल स्टेट में निवेश, स्विस बैंक तथा विदेशी मुद्रा के रूप में रखा जाता है, और इसी तरह के कई गोरखधंधों से काले धन को बढ़ाया जाता है। याद कीजिए मोदी ने चुनाव से पहले खुद बोला था कि 90 प्रतिशत काला धन विदेशों में रखा गया है, जिसको वे वापस लायेंगे और 15 लाख रुपये सभी के अकाउंट में डाले जायेंगे। लेकिन आज तक मोदी सरकार ने काली संपत्ति के उस क्षेत्र को छुआ भी नहीं। उल्टे विदेश में धन भेजने के रास्ते को और भी आसान बना दिया। मोदी सरकार ने एलआरएस (लिबेरालाइज्ड रेमिंटेंस स्कीम) के तहत विदेश में धन भेजने की अधिकतम 75 हज़ार डॉलर की सीमा को बढ़ाकर 250 हज़ार डॉलर कर दी। इस नये ‘सुधार’ का फ़ायदा उठाते हुए इस वर्ष विदेश में 30,000 हज़ार करोड़ रुपये भेजे गये, जो कि पिछले सालों की तिगुना है।
  2. बहुत से राजनेता पहले से ही बात को जानते थे कि 500 और 1000 के नोट बंद हो जायेंगे और 2000 के नोट जारी होंगे। इसी साल 1 अप्रैल में गुजरात के एक समाचार-पत्र में तथा 8 अप्रैल को टाइम्स ऑपफ इंडिया में यह ख़बर छपी कि 500 और 1000 के नोट बंद किए जा सकते हैं। इस प्रकार की ख़बरें और भी कुछ अख़बारों में आयी थीं। स्वयं आरबीआई के आंकड़े कहते हैं कि सितंबर 2016 में बैंकों में जमा होने वाले पैसों में रिकॉर्ड उछाल आया है जिसका वृद्धि दर 5 प्रतिशत है। पिछले तीन महीनों में बैंकों में 5 लाख करोड़ से अधिक पैसे जमा किए गए हैं। भेद खुल जाने के बाद वित्तमंत्री अरूण जेटली ने कहा कि यह पैसा 7वां वेतन आयोग के बाद लोगों को मिले अतिरिक्त पैसे हैं। जबकि इस वेतन आयोग में अतिरिक्त पैसा महज़ 34 हज़ार करोड़ रुपये ही है। सब जानते हैं कि भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के खाते में 3 करोड़ रुपये मोदी के नोटबंदी की घोषणा के कुछ घंटों पहले जमा कराया गया। मामला बिल्कुल साफ है कि मोदी सरकार ने बड़े कार्पोरेट्स और राजनीतिक रूप से अपने करीबी लोगों और काले धनखोरों को पहले ही आगाह कर दिया था।
  3. कुछ महीनों पहले, जब पनामा पेपर्स ने खुलासा हुआ तो बहुत सारे उद्योगपति, अभिनेता और औद्योगिक घराने अपने काले धन को सफेद बनाने के लिए गैर कानूनी व्यावसायिक गतिविध्यिों में संलिप्त पाए गए। वैसे अनेक रास्ते और चोर दरवाज़े को सरकार ने उनके लिए आज भी खोल के रखा हुआ है।
  4. मंदिरों में दान देने की कोई अधिकतम सीमा निर्धारित ही नहीं है, इसलिए काला धन इन मंदिरों को दान के रूप में दिया जा सकता है और वे मंदिर पुराने नोटों को बड़ी आसानी से नए नोटों में बदल देंगे और अपना कमीशन लेकर उस दान करने वाले को फिर उसका पैसा वापस कर सकते हैं।
  5. हाल में सरकार ने ‘एंटी करप्शन एक्ट’ में बदलाव लाकर इस प्रावधन को जोड़ दिया है कि सीबीआई अब बगैर सरकारी आदेश के किसी भी सरकारी अधिकारी पर भ्रष्टाचार के मामलों की जांच नहीं कर सकती। अर्थात् सरकार से राजनीतिक संपर्क बनाए रखने वाले और उसकी चमचागिरी करने वाले भ्रष्ट अधिकारियों पर अब कार्रवाई नहीं की जा सकती। वे बिना किसी डर के अपने काले धन को बना और बचा सकते हैं।
  6. आज जब 2000 के नोट को प्रचलन में लाया गया है तो इससे क्या काले धन का संग्रह और अधिक आसान नहीं हो जाएगा!
  7. साथियों, यह काला धन बनता कहां से है? इसकी गंगोत्री क्या है? दरअसल मोदी सरकार (और इससे पहले की कांग्रेस सरकार) जिस प्रकार देश के प्राकृतिक संसाधनों को कौड़ी के दाम पर अडानी-अंबानी जैसे कॉर्पोरेट्स को खरबों का मुनाफा कमाने को देती है, नीतियों को बड़े कॉपोरेट्स के हित में बनाया और बदला जाता है, कॉर्पोरेट्स को टैक्स में लाखों करोड़ों की छूट दी जाती है – ये ही हैं काला धन बनने का मुख्य श्रोत। उन्हीं नीतियों पर चलते हुए अगर सरकार काला धन ख़त्म करने की बात करती है तो यह चुनावी जुमला और छलावा से अधिक कुछ नहीं है!

 

असल में निशाना किसे बनाया जा रहा है इस नोटबंदी का-

  1. चुनाव से पूर्व स्वयं नरेंद्र मोदी ने अपने भाषणों में कई बार यह बात कही कि देश का पैसा काला धन के रूप में विदेश में जमा है। सरकार बनाने के बाद वे इसे देश में लायेंगे और हर नागरिक के खाते में 15 लाख रुपये डाले जायेंगे। लेकिन आज उन्हें कौन-सी ऐसी दिव्यदृष्टि मिल गई है कि उन्हें सारा काला धन गरीब जनता, छोटे व्यापारी और महिलाओं-बुजुर्गों की जमा पूंजी में ही दिखने लगा है! दरअसल सरकार ने काले धन को न लाने की इच्छा और इसपर जनता के दबाव और गुस्से को ‘रिलीज’ करने की धूर्त साजि़श रचकर इस नोटबंदी का सहारा लिया है। आज देश की मेहनतकश आबादी अपने सारे काम को छोड़कर बैंकों और एटीएम के सामने लाइन में खड़े होने को मजबूर हैं, जबकि लूट का पैसा सहेजे काले धन वाले इत्मीनान के साथ बैठे हैं।
  2. अर्थव्यवस्था की कुल मुद्रा का 86%, 500 और 1000 के नोटों के रूप में है। देश की वयस्क जनसंख्या की आधी से अधिक आबादी के पास अपना बैंक खाता नहीं है। ऊपर से बहुत तो ऐसे हैं जो अपने खाते का प्रयोग ही नहीं करते। ऐसे में बूढ़े लोग, महिलाएं जिन्होंने बहुत परिश्रम से अपने गाढ़े दिनों के लिए बचत किये थे, वे प्रताड़ना के शिकार हो रहे हैं। दूरदराज और गांव के लोगों को समझ में नहीं आ रहा है कि वे क्या करें, ख़ासकर किसान इस फैसले की तबाही को झेल रहे हैं। पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है। इस नोटबंदी के चलते अब तक 25 लोगों की मौत हो चुकी है। मोदी साहब जिस नोटबंदी को ‘सर्जिकल स्ट्राईक’ कह रहे हैं क्या इसका निशाना अपने ही देश के गरीब-मेहनतकश लोगों को नहीं बना दिया गया है! मंच पर प्रकट मोदी का दुख घडि़याली प्रवृत्ति का है और जिसे वे जनता द्वारा कष्ट उठाना कह रहे हैं वह लोगों की जान गंवाना हो गया है!
  3. जापान में अपने भाषण के दौरान प्रधनमंत्री मोदी ने नोटबंदी के चलते देश में रूक जा रही शादियों पर व्यंग्य कसा। जबकि कर्नाटक के चर्चित खनन माफिया और भाजपा के पूर्व मंत्री रहे जनार्दन रेड्डी (रेड्डी बंधुओं में से एक) की पुत्री की शादी में कोई कमी नहीं हुई। 50,000 अतिथियों का इंतजाम, 25 हेलीपैड की व्यवस्था और तकरीबन 500 करोड़ का कुल खर्च! किस एटीएम और बैंक की लाइन में लगे थे बेल्लारी बंधु? कहा जा रहा है कि ये पैसा तो उनके चेक के द्वारा निकाला गया था। जी! चेक तो उनलोगों के पास भी है जो दिन भर लाइन में खड़े होकर 4000 की रकम ही निकाल पाते हैं। बहुत साफ है कि इस नोटबंदी से काले धनखोरों को कोई फर्क नहीं पड़ा है।

 

तब यह सबकुछ किसलिए?

  1. 500 और 1000 का नोट बंद करके 2000 का नोट जारी होने से खुल्ला पैसे की कमी के कारण छोटे लेन-देन में बहुत समस्या आ रही है। इस तरह की मात्रा का लेन-देन सिर्फ ‘मॉल’ जैसी बड़ी दुकानों में ही संभव हो पायेगा। यह योजना अर्थव्यवस्था को नकदी विहीन अर्थव्यवस्था की ओर ले जाएगी। इससे बड़े मील मालिकों, बहुराष्ट्रीय व्यापारियों, बड़े खाद्य व्यापारियों तथा रेस्तरां मालिकों को ही फायदा मिलेगा जो नगदी विहीन भुगतान स्वीकार कर सकते हैं।
  2. मोदी ने नोटबंदी के बाद ऑनलाइन पेमेंट के लिए ‘पेटीएम’ (PayTM) जैसी कंपनी को बड़े पैमाने पर प्रचारित किया। इस कंपनी के सबसे अधिक शेयर चीन के ‘अलीबाबा’ कंपनी के पास है। हाल में मोदी भक्तों द्वारा चीनी सामानों का बहिष्कार कर देशभक्ति निभाने के मंसूबे को भी ‘साहेब’ ने धक्का पहुँचाया है ! ख़ैर! यह प्रकरण इस मायने में दिलचस्प है कि छः महीने पहले आरबीआई ने भी इसी प्रकार का ‘सिंगल विन्डो ऑनलाइन पेमेंट’ के लिए अपना ऐप लॉन्च किया है तब देश के प्रधनमंत्री नोटबंदी की आड़ में किसी निजी कंपनी को किस साहस के साथ प्रचारित कर रहे हैं!
  3. इस नए नियम से अब तक बैंकों में दो लाख करोड़ रु से अधिक की राशि जमा हो चुकी है और जिसकी निकासी के लिए सरकार ने पचास दिनों का समय मांगा है। ये पचास दिन जनता के कष्ट के लिए काफी हो न हो, बड़े कॉर्पोरेट्स के लिए ये काफी है। इन धन्नासेठों ने सरकारी खजाने से पैसे चूसकर उन्हें लगभग खाली कर दिया था। बैंकों पर NPA (नॉन परफॉर्मिंग एसेट), अर्थात् बैंकों से लिए गए उधर को वापस नहीं करने की स्थिति का दबाव बढ़ते जाने से अब बैंकों की ऐसी स्थिति नहीं रह गई थी कि वह बड़े कार्पोरेट्स को और अधिक कर्ज दे सके। इस नोटबंदी ने देश की जनता को अपने सारे पैसे बैंक में जमा कर देने को मजबूर कर दिया। अब इस नई हरियाली को चरने का मौका सरकार उन्हें मुहैया करवायेगी। संभव है हमारी इस जमा पूंजी को डकार कर एकाध और माल्या उड़न-छू हो जाए।
  4. 16 नवंबर को ही एसबीआई ने 63 बड़े पूंजीपतियों के कर्ज को माफ कर देने की घोषणा कर दी जिससे 7,000 करोड़ रुपये सदा के लिए इन डिफॉल्टर्स की तिजोरी में छोड़ दिए गए। इसमें विजय माल्या का 1200 करोड़ रुपया भी माफ हो गया। ग़रीब जनता के पैसे को बैंक में रखवाकर उन्हें अडानियों-अंबानियों और माल्याओं में वितरण करने का ‘देशभक्त’ पैंतरा है नोटबंदी का यह फरमान!

 

साथियों, भाजपा द्वारा गरीब जनता की गाढ़ी कमाई पर किये गए हमले और अर्थव्यवस्था में पैदा की गयी भारी अराजकता के खिलाफ एकजुट होकर लड़ना ही हमारे सामने एकमात्र विकल्प है। अपने चुनावी वायदों के हर मोर्चे पर असफल मोदी सरकार के इस नये पाखंड का हर स्तर पर पर्दाफाश किया जाना चाहिए।

 

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