जिन्ना की तस्वीर तो बहाना है सांप्रदायिक उन्माद फैलाना निशाना है

Jinnah & Savarkar
Jinnah & Savarkar

AMU में 1938 से लगी हुई मोहम्मद अली जिन्ना की एक तस्वीर को एकाएक हटाने की मांग करते हुए ‘हिंदू युवा वाहिनी’ नाम के एक गिरोह ने वहां के छात्रों पर हमला कर दिया। देखते-देखते भाजपा और हिन्दुत्ववादी ताकतों ने उस संस्थान पर हमला साध दिया और अकारण ही जिन्ना को विवाद का विषय बना दिया गया।

AMU के छात्रों का नहीं, जिन्ना के साथ हिंदुत्ववादियों का सरोकार रहा है!

दोनों ही अंग्रेजों द्वारा उत्पन्न किए गए ‘द्वी-राष्ट्र’ सिद्धांत के पैरोकार थे!

  • 1937 में अहमदाबाद में हिंदू महासभा के सम्मेलन के अपने अध्यक्षीय  वक्तव्य में सावरकर ‘दो राष्ट्र’ के सिद्धांत के जबर्दस्त पैरोकारी करते हुए कहते हैं कि ‘‘भारत में दो परस्पर विरोधी राष्ट्र एक साथ रहते हैं- हिंदू और मुसलमान। यह ऐतिहासिक तथ्य है कि हिंदू और मुसलमान दो राष्ट्र हैं.’’ (Samagra Savarkar Wangmaya: Hindu Rashtra Darshan (Collected works of Savarkar In English), 1963 Vol 6 Pg 296 )
  •  सावरकर के ‘द्वी-राष्ट्र’ सिद्धांत की घोषणा के 3 वर्ष बाद 1940 में जिन्ना ने मुस्लिम लीग के लाहौर अधिवेशन में ‘द्वी-राष्ट्र’ सिद्धांत पारित किया।
  •  15 अगस्त 1943 को जिन्ना का समर्थन करते हुए सावरकर ने नागपुर में एक सभा में कहा-‘‘मिस्टर जिन्ना के ‘दो राष्ट्र’ सिद्धांत से मेरा कोई झगड़ा नहीं है। हम हिंदू अपने आप में राष्ट्र हैं और हिंदू और मुसलमान दो राष्ट्र हैं।’’(देखें इंडियन एनुअल रजिस्टर, 1937, वाल्यूम 11, p-10)
  •  इतना ही नहीं ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के दौरान जिन्ना की मुस्लिम लीग और हिंदू महासभा साथ मिलकर बंगाल, नाॅर्थ वेस्ट प्रंफटियर प्राॅविंस और सिंध में सरकार चला रहे थे। हिंदुत्ववादी संगठनों के एक नायक श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने तो भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान बंगाल के मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने से इंकार कर दिया। यहां तक कि बंगाल सरकार में मंत्री के बतौर उन्होंने 1942 में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ का दमन करने में अंग्रेजों की मदद करने और उन्हें सलाह देने में सक्रिय सहयोग की पेशकश की।
  •  हिंदू महासभा, आरएसएस और पूरे भगवा ब्रिगेड ने आजादी की लड़ाई में मुस्लिम लीग के साथ मिलकर स्वाधीनता आंदोलनों को सांप्रदायिक आधर पर ध्रुवीकृत करने की अंग्रेजों की साजिश में उनका साथ दिया!

AMU पर हमला करने वाले हिंदुत्ववादी संगठनों को जिन्ना और ‘द्वी-राष्ट्र’ के सिद्धांत से कभी कोई परहेज नहीं रहा बल्कि ये आपस में संगी-साथी रहे हैं। जिन्ना की तस्वीर तो सिर्फ बहाना है। असल मकसद है- अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी पर हमला साधना औैर फर्जी ‘राष्ट्रवाद’ के उन्माद में सांप्रदायिक जहर फैलाना!

1938 की लगी इस तस्वीर पर विवाद आज क्यों? क्या सिर्फ इसलिए कि अभी कर्नाटक और 2019 में देश में लोकसभा चुनाव है

जिन्ना की जिस तस्वीर पर संघ गिरोह हिंसा करने पर उतारू है वह तस्वीर आज से 80 साल पहले, अर्थात् 1938 में AMU के छात्रसंघ कार्यालय में लगाया गया था। 1938 में इस यूनिवर्सिटी ने जिन्ना को ‘लाइफटाइम मेंबर’ का खिताब दिया था। उस समय जिन्ना एक एमएलए और मुस्लिम लीग के प्रेसिडेंट थे। एक राजनीतिज्ञ के बतौर उन्हें यह खिताब यूनिवर्सिटी द्वारा दिया गया था और ऐसे सभी ‘स्थाई सदस्यों की तस्वीरें वहां के छात्रसंघ कार्यालय में लगाया जाता रहा है। महात्मा गांधी, डाॅ. भीमराव अंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू, सी वी रमण, आगा खां जैसी शख्सियतों की भी फोटो वहां इसी वजह से लगी हुई है।

हम भाजपा, हिन्दू युवा वाहिनी, बजरंग दल, एबीवीपी जैसे संगठनों से पूछना चाहते है कि –

  •  दो-राष्ट्र सिद्धांत के प्रबल प्रवक्ता सावरकर के बारे में आपकी क्या राय है, क्या उनकी तस्वीरों को भी हटा दिया जाए?
  •  भगत सिंह और बाल गंगाधर तिलक के पक्ष में वकालत की थी जिन्ना ने! तो क्या इनसे जुड़े हुए दस्तावेजों को भी नष्ट करना चाहते हैं!
  •  क्या मुम्बई में अंग्रेजी राज के विरोध में स्मारक के रूप में स्थित जिन्ना भवन को नष्ट कर दिया जाए! आंध्र प्रदेश में स्थित जिन्ना टावर को क्या गिरा देना चाहिए! क्या इस देश को इतिहास को नष्ट करने वाले दौर में धकेल दिया जाए!
  • देश के उद्योगपति नुस्ली वाडिया घराने में जिन्ना की बेटी की शादी हुई है तो क्या उस परिवार को भी देश निकाला दोगेे?
  •  बाॅम्बे हाईकोर्ट के म्यूजियम (जिसका उद्घाटन प्रधनमंत्री मोदी ने किया) में जिन्ना की बैरिस्टर की डिग्री रखी हुई है! उसका क्या करेंगे!
  •  अल्लामा इक़बाल, जिन्होंने ‘सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा’ गीत लिखा था, वे भी बाद में पाकिस्तान समर्थक हो गए थे। तो क्या इस गीत को भी भारत में प्रतिबंधित कर दिया जाए?
  •  4 नवंबर 1948 को संविधन सभा की बैठक में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ-साथ मोहम्मद अली जिन्ना को भी श्रद्धांजलि दी गई थी। क्या कोई उन्मादी भीड़ संसद में जाकर इसके दस्तावेजों को भी नष्ट करेगा?
  •  पाकिस्तान जाकर जिन्ना की कब्रगाह पर सर झुकाकर उन्हें ‘महान सेक्यूलर’ कहने वाले लाल कृष्ण आडवानी पर संघ गिरोह का क्या कहना है?

अब चंद सवाल 1 मई और उसके बाद के घटनाक्रमों को लेकर

  • भाजपा के स्थानीय सांसद ने जिन्ना की तस्वीर पर सहसा उपजी अपनी आपत्ति को लेकर यूनिवर्सिटी के विजिटर अर्थात् देश के राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इसकी सूचना क्यों नहीं दी? सीधे हिंसा को क्यों उकसाया?
  • हिंदुत्ववादी हिंसक भीड़ दो-दो बार AMU गेट तक कैसे पहुंच गई, जबकि पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी वहां से मुश्किल से 100 मी की दूर पर मौजूद थे। उनपर हमले की कोशिश क्यों हुई?
  • छात्रों पर हमला करने वालों को गिरफ्ऱतारी क्यों नहीं हुई, उल्टे इसकी मांग करने वाले AMU के छात्रों पर पुलिस ने क्रूर लाठीचार्ज क्यों कर दिया।

दोस्तों, ‘स्वायत्तता’ के नाम पर 62 विश्वविद्यालयों को फीस वृद्धि और नीजिकरण की राह पर झोंकने की सरकार की योजना में AMU भी शामिल है। शिक्षा और रोज़गार पर अपने हमलों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए आज आज भाजपा सरकार और हिंदुत्ववादी ताकतों द्वारा जिन्ना की तस्वीर को लेकर फ़र्ज़ी विवाद खड़ा किया जा रहा है। आज इनके निशाने पर JNU, BHU, HCU, AMU, जादवपुर जैसे संस्थान हैं, कल हम और आप होंगे।

आइसा संस्थानों पर इन फासीवादी हमलों के विरोध में छात्र समुदाय और नागरिकों को एकजूट होने की अपील करता है।

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