बजट 2021, शिक्षा-रोजगार को बजट से दरकिनार कर कॉरपोरेट के लिए लूट का दस्तावेज मात्र है.

बजट 2021, शिक्षा-रोजगार को बजट से दरकिनार कर कॉरपोरेट के लिए लूट का दस्तावेज मात्र है.

बजट 2021 कम्पनी राज को बढ़ाने वाला और आर्थिक पुनर्जीवन व जनता की रोजी-रोटी की गारंटी मांगों के साथ विश्वासघात है.

कोरोना महामारी के बाद आये मोदी सरकार के पहले बजट में शिक्षा का नाम मात्र का जिक्र किया गया है. जिसमें भी उच्च शिक्षा के लिए इस बजट में कोई जगह नही दिखी. कोरोना काल के चलते छात्रों की पढ़ाई बाधित हुयी. छात्रवृत्ति रोक दी गयी. कितने छात्रों ने छात्रवृत्ति, विश्वविद्यालय/कॉलेज फीस न होने के चलते आत्महत्या कर ली. बावजूद इसके सरकार अपने नए बजट में भी छात्रों के प्रति उदासीन बनी रही.

बजट में खतरनाक रूप से नीचे गिर रही अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने की दिशा में कोई कोशिश नहीं की गई है.  न ही इसमें नौकरियां खो चुके और आय व जीवनयापन के स्तर में भारी गिरावट से परेशान लोगों के लिए कोई तात्कालिक राहत दी गई है. उल्टे इसमें संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था के बोझ को जनता के कंधों पर डाल बड़े कॉरपोरेटों के लिए अकूत सम्पत्ति जमा करने के और अवसर बना दिये गये हैं.

अर्थव्यवस्था में सरकारी निवेश और खर्च बढ़ाने की सख्त जरूरत है लेकिन यह बजट थोक के भाव में विनिवेश और निजीकरण की दिशा में केन्द्रित है.

रोजगार सृजन, आय में बढ़ोतरी और आम आदमी की क्रय शक्ति में इजाफा करने की दिशा में इस बजट को केन्द्रित होना चाहिये था लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं किया गया है.

भारत के 100 सर्वाधिक धनी अरबपतियों की सम्पत्तियों में महामारी और लॉकडाउन के दौरान भारी बढ़ोतरी हो गई (लगभग 13 लाख करोड़) ! लेकिन बजट इस सम्पत्ति को वैसे ही छोड़ दे रहा है, इस पर वैल्थ टैक्स या ट्रांजेक्शन टैक्स क्यों नहीं लगाया जा सकता था?

राजस्व नीति में सुधार कर अति धनाढ्यों से राजस्व वसूली बढ़ाने और मध्य वर्ग को जीएसटी और आय कर में राहत देने की जगह बजट पहले की तरह ही अत्यधिक अमीरपरस्त राजस्व नीति पर चल रहा है.

सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की किसानों की लम्बे समय से चली आ रही मांग को सरकार ने एक बार फिर खारिज कर दिया है. भारत के छोटे किसान और माइक्रोफाइनांस कम्पनियों के कर्ज तले लोग परेशान हैं. पूरे देश में छोटे कर्जदारों के कर्जे माफ करने की मांग लगातार उठ रही हैं, लेकिन बजट 2021 ने इस महत्वपूर्ण मांग को नहीं माना है.

अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने की दिशा में यह बजट पूरी तरह से विफल है. अतः हम सरकार से मांग करते हैं कि इस बजट पर पूरे विस्तार में पुनर्विचार किया जाय.

ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा)

admin

Leave a Reply